वो रंग पूछते हैं वो ज़ात पूछते हैं,
दुनिया वाले हैं जनाब बस सवालात पूछते हैं।
वो टी वी को रंगीन और दुनिया बेरंग करके,
चौराहे पर खड़े, इंसानियत का भाव पूछते हैं।
वो सर्प जो विषपान करे, दूध को बदनाम करे,
महंगे कपड़ों को छोड़,आस्तीनों की पहचान पूछते हैं।
ढ़ल जाने दो दिन, हो जाने दो रात,
दिन भर की तपन के बाद लोग सूरज नहीं चांद पूछते हैं।
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