दुनिया ने डोर से बांधकर उसे ' प्रीतम ' कर दिया, एक अधूरा अफसाना जो उस साहिर का था, लफ़्ज़ों में क़ैद, पन्नों में दर्ज और आंखों से बयान कर दिया। कि इकतरफा मोहब्बत भी कम कहर नहीं ढ़ाती, कुछ यूं ही अपना बीता हुआ कल उसने इमरोज़ कर दिया।
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