एक हश्र ए अंजाम कुछ ऐसा हो,
कदम मेरे हों तो रास्ता तेरे जैसा हो।
वो चांद फलक पर कुछ ऐसा हो,
रात अंधेरी हो तो सन्नाटा तेरे जैसा हो।
वो अंदाज़ ए बयां कुछ ऐसा हो,
कलम मेरी हो तो पन्ना तेरे जैसा हो।
वो साथ हमारा कुछ ऐसा हो,
तू मेरा हो और मेरा सब कुछ तेरे जैसा हो।
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