Sunday, 4 February 2018

बस यूं ही

आज एक नए एहसास से मुलाक़ात हुई,
एक तरफा गुफ्तुगू के साथ ये अदना शुरुआत हुई।
घने कोहरे में दूर कहीं चमकती रोशनी की तरह,
जलती बुझती बत्तियों के साथ ढेरों बात हुई।
दिन के उजाले भी कम नहीं हैं मुहब्बत जताने के लिए,
लगता है फकत तेरे एहसास को फिर से जीने के लिए ही रात हुई।।

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