रुखसत कुछ यूं कर दिया उन्हें दुनिया से,
जैसे उन बच्चों का ही बोझ धरती पर ज़्यादा था।
कहां समझ थी उसे उस छिपी हुई नफरत की,
तभी तो उस जहाज के पीछे वो इतनी खुशी से भागा था।
बर्बादी का मंज़र जो देख कर अभी बैठे हैं,
उन बे अल्फ़ाज़ बच्चों को वो आतंकवादी कहते हैं।
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