अब जो देखती हूं आंखों से वो ख्वाब अधूरे रहने दो,
वो परियों की कहानी की रात अधूरी रहने दो,
भूले भटके अगर मिल जाए वो खुशियां तुमको राहों पर,
उनसे तुम कह देना अब ये बात अधूरी रहने दो।
बच्चों की कब्रों पर है नक्शा उनकी सियासत का,
ये गद्दी भी रो देगी बस जज़्बात अधूरे रहने दो।
मिट्टी का इंसान मिलेगा मिट्टी में ही जाकर,
सुर्ख करके इस मिट्टी को ये इंसाफ अधूरा रहने दो।
No comments:
Post a Comment